jai shri ram

श्री रामचंद्र जी की जय !

shri ram

जैसा की हम सभी जानते हैं कि भगवान् श्री राम लला अयोध्या में विराज चुके हैं और भगवान् श्री रामचंद्र जी के अयोध्या में विराजने से केवल भारतवर्ष के लोगों की ही नहीं बल्कि पुरे विश्व की भावनायें जुडी हुई हैं और इसका प्रमाण किसी को भी देने की कोई आवश्यकता ज्ञात नहीं होती क्यूंकि जैसे ही भगवान् राम लला अयोध्या में विराजे वैसे ही समस्त विश्व में एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ है।


आप देखेंगे की भगवान् राम की जो लीलाएँ हैं वह बहुत ही जुडी हैं , यहाँ तक की भगवान् कृष्ण से भी ज्यादा प्रसिद्ध भगवान राम की लीलाएँ हैं और उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि, भगवान रामचंद्र की जो लीलाएँ हैं उनके अंदर संबंधों का जो ताना बाना है वह इतना सुन्दर है कि , उसमे हर व्यक्ति एक दूसरे के लिए त्याग करता है, ये रामायण है और इसीलिए रामायण के पूरे विश्व में इतने संस्करण है कि इसमें कोई शंका नहीं है जैसा कि –

इंडोनेशिया में रामायण के संस्करण को काकविन रामायण के नाम से जाना जाता है और कम्बोडिया में रामकीयन के नाम से है जिसका अर्थ है “राम की कीर्ति”। रामकीयन रामायण का थाई संस्करण है और जापान में तो रामायण के 2 संस्करण है तथा यंहा तक कि ईराक में तो श्री सीता राम , लक्ष्मण,हनुमान जी के उत्कीर्णन वहाँ की गुफाओं में हैं।
यहां तक कि इटली की राजधानी रोम का नाम रामनवमी के दिन ही पड़ा।
रशिया के अंदर एक नदी है उसका नाम है सीता ।
आप ही सोचिये इतना सब तुक्का अर्थात संयोग मात्र तो नहीं हो सकता।


दोस्तों ! राम मंदिर के बारे में कुछ और भी बातें हैं , राम मंदिर बनने के पीछे लोगों के संघर्ष के बारे में तो आपने आज कल काफी कुछ सुन लिया होगा लेकिन क्या आप जानते हैं जो कार सेवक भगवान् राम जी के मंदिर के लिए अयोध्या जाया करते थे उनकी पत्नियां पहले ही कह दिया करती थीं कि आप अयोध्या जा रहे हैं तो पहले ही हमारी मांग का सिन्दूर मिटा करके जाइये, हमने आपको भगवान् श्री राम जी के लिए समर्पित कर दिया, अर्थात उन्हें पहले से ज्ञात था की भगवान् श्री राम जी के मंदिर के लिए अयोध्या जाना मतलब वापस जीवित नहीं लौटना।

स कदर लोगों के मन में भगवान् राम जी के लिए श्रद्धा है , और यही नहीं अयोध्या के एक परिवार ने तो संकल्प भी लिया था कि जब तक भगवान् श्री राम जी का मंदिर नहीं बन जाता तब तक वो अपने सर पर पगड़ी धारण नहीं करेंगे , वहीँ एक परिवार ने प्रतिज्ञा ली की जब तक भगवान् का मंदिर नहीं बनेगा तब तक वो केवल चटाई पर ही सोयेंगे और इनके परिवारों ने अपनी अपनी प्रतिज्ञा का लगभग 500 वर्षों तक पालन किया।
यही श्रद्धा और भावनाएं भगवान् श्री राम जी के साथ सभी की जुडी हुयी हैं जो वैश्विक है।


वैसे कुछ तथाकथित विद्वान् मानते हैं कि भगवान् श्री राम एक साधारण इंसान थे जो गुणवान थे, प्रभु ही बचाये ऐसे लोगों से और उनकी मूर्खता भरी सोच से।

एक अन्य बात और, भगवान् श्री रामचंद्र जी का एक नाम “कपट मनुष्य” भी है मतलब की वो सिर्फ दिखते मनुष्य जैसे हैं किन्तु वो मनुष्य नहीं हैं और उनकी लीला को देखकर तो स्वयं महामाया स्वरूपिणी “सती माता” भी धोखा खा गयीं। उन्होंने जब भगवान् राम जी को माता सीता के विरह में क्रंदन करते हुए देखा तो वो भगवान् शिव से बोलीं की ऐसा क्रंदन तो कोई सांसारिक मनुष्य ही करता है अपनी पत्नी के विरह में , भगवान् नहीं तब महादेव ने मुस्कुराते हुए कहा की ये सब प्रभु की लीला है विश्वास रखो।प्रभु के प्रति श्रद्धा रखो। महादेव ने बोल तो दिया लेकिन फिर भी माता सती विश्वास नहीं कर पा रहीं थी इसलिए माता सती प्रभु की परीक्षा लेने चली गयीं और वो माता सीता का रूप धारण कर गयीं और जब भगवान् राम जी माँ सीता को पुकार रहे थे तो वहां जा कर बोलीं की क्या हुआ प्रभु आप मुझे ऐसे क्यों पुकार रहे हो ? तब भगवान् राम जी ने कहा की अरे! सती तुम यहाँ क्या कर रही हो जंगल में और महादेव कहाँ हैं ? तब सती माता ने सोचा की अरे इन्होने मुझे कैसे पहचान लिया , कहीं कोई गलती तो नहीं हो गयी ? उसके बाद फिर से वो और अच्छा माता सीता का रूप धारण करके गयी और जब भगवान् श्री राम माता सीता को पुकार रहे थे तो वहां जाकर बोलीं की क्या हुआ प्रभु आप ऐसे मुझे क्यों पुकार रहे हैं। अब राम जी बोले की अरे सती ! तुम फिर आ गयीं , महादेव कहाँ हैं ? अब माता सती समझ गयीं की ये तो साक्षात् प्रभु ही हैं और इनकी लीला अपरम्पार है जो कोई नहीं समझ सकता, बड़ी ही श्रद्धा चाहिए कि प्रभु मनुष्य रूप में आये और हम उनकी इस दिव्यता को स्वीकार कर उन्हें भगवान् मानें।

प्रभु श्री रामचंद्र जी का आना बड़ा ही दिव्य है और उतना ही दिव्य श्रीरामलला जी का अयोध्या में आना है और ये तो सभी महसूस कर सकते हैं।

ये कुछ विशेष बातें भगवान् श्री राम चंद्र जी के बारें में।

अगले लेख में भगवान् श्री रामचंद्र जी के जन्म के बारे में चर्चा करेंगे। प्रभु हम सभी के ऊपर अपनी कृपा बनाये रखें ।

सियावररामचन्द्र जी की जय !

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